हिंदी साहित्य के अलंकार क्या है ?
अलंकार किसे कहते है ? अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है 'आभूषण'। जिस प्रकार आभूषण शरीर की शोभा या सौन्दर्य को बढ़ाते हैं उसी प्रकार अलंकार काव्य की शोभा या सौन्दर्य को बढ़ाते हैं। अलंकार की परिभाषा - आचार्य दण्डी के शब्दों में - 'काव्य शोभाकरान् धर्मान् अलंकारान् प्रचक्षते' अर्थात् काव्य के शोभाकारक धर्म (गुण) अलंकार कहलाते हैं। अलंकार के प्रकार - अलंकार तीन प्रकार के होते हैं - शब्दालंकार अर्थालंकार उभयालंकार शब्दालंकार - काव्य में जहां शब्दों के द्वारा काव्य-सौन्दर्य में वृद्धि होती है वहाँ शब्दालंकार होता है। शब्दों से काव्य सौन्दर्य में वृद्धि से मतलब है जैसे शब्दों की पुनरावृत्ति(बार-बार आना) या वर्णों की पुनरावृत्ति। जब किसी काव्य की पंक्तियों में ऐसा होता है तो वह पंक्तियाँ बहुत रोचक लगतीं हैं और पढ़ने में बहुत अच्छा लगता है। जैसे- चारू चंद्र की चंचल किरणें, खेल रहीं हैं जल थल में इस पंक्ति में च वर्ण की आवृत्ति हो रही है जिससे इस पंक्ति की शोभा बढ़ गई है। तो यहाँ शब्दालंकार है। शब्दालंकार के प्रकार - अनुप्रास यमक श्लेष वक्रोक्ति वीप्सा पुनरुक्ति अनुप्...