उपन्यास किसे कहते हैं ? उपन्यास कितने प्रकार के होते हैं? परिभाषा। तत्व। प्रकार what is Upanyas

उपन्यास का अर्थ, उपन्यास की परिभाषा, हिंदी उपन्यास का विकास      

 

इस पोस्ट में हम पढ़ेंगे -

उपन्यास का अर्थ                        
उपन्यास की परिभाषा                   
हिंदी उपन्यास का विकास             
प्रेमचंद पूर्व हिंदी उपन्यास 
प्रेमचंद युगीन हिंदी उपन्यास          
प्रेमचंदोत्तर हिंदी उपन्यास
उपन्यास के प्रमुख तत्वों का वर्णन   
उपन्यास के प्रकार 

उपन्यास किसे कहते है ?(उपन्यास का अर्थ क्या है ?)

उपन्यास शब्द का अर्थ है - सामने रखना।

उपन्यास शब्द 'उप' और 'न्यास' दो पदों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है - समीप रखना या सामने रखना।

वह गद्य रचना जिसको पढ़ने के बाद ऐसा लगे कि यह हमारी ही है, इसमें हमारे ही जीवन के बारे में लिखा गया है, 'उपन्यास' है।

उपन्यास गद्य का नव - विकसित रूप है। जिसमें कथावस्तु, चरित्र-चित्रण संवाद आदि के तत्वों के माध्यम से यथार्थ और कल्पना मिश्रित कहानी आकर्षक शैली में प्रस्तुत की जाती है।

उपन्यास की परिभाषा क्या है ?

डॉ भागीरथ मिश्र के अनुसार - 

'युग की गतिशील पृष्ठभूमि पर सहज शैली में स्वाभाविक जीवन की एक पूर्ण झांकी प्रस्तुत करने वाला गद्य, उपन्यास कहलाता है।'

उपन्यास में मानव जीवन का समग्र चित्रण होता है। इसमें कई प्रासंगिक कथाओं तथा घटनाओं का वर्णन रहता है।

हिंदी उपन्यास का जन्म एवं विकास आधुनिक काल में हुआ। हिंदी के सर्वप्रथम उपन्यास भारतेंदु युग में लिखे गए। 

हिंदी उपन्यास का इतिहास -

हिंदी उपन्यास की शुरुआत 19वीं सदी के अंतिम चरण में हुई। हिंदी में उपन्यास लेखन की परंपरा की शुरुआत अंग्रेजी व बांग्ला उपन्यासों की प्रेरणा से हुई। हिंदी से पहले बांग्ला में उपन्यास लिखे जाते थे। बांग्ला के अनेक उपन्यासकार हैं जिन्होंने हिंदी उपन्यास साहित्य पर गहरा प्रभाव डाला। इनमें बंकिम चंद्र चटर्जी, शरतचंद्र चट्टोपाध्याय, रविंद्र नाथ टैगोर आदि प्रमुख हैं। 

हिंदी उपन्यास के युग -

विकास क्रम की दृष्टि से हिंदी उपन्यास को मुख्यतः दो युगों में बांटा गया है -
  • प्रारंभिक युग 
  • प्रौढ़ युग
प्रारंभिक युग के उपन्यासों को भी मुख्यतः दो भागों में बांट सकते हैं -
  • मौलिक उपन्यास 
  • अनूदित उपन्यास
मौलिक उपन्यासों के भी तीन भेद किए जा सकते हैं -
  • सामाजिक उपन्यास 
  • ऐतिहासिक उपन्यास 
  • रोमांचक उपन्यास

हिंदी उपन्यास का विकास -

1.प्रेमचंद पूर्व हिंदी उपन्यास

1882 से लगभग 1916 ईसवी तक के युग को हिंदी उपन्यास में प्रेमचंद्र पूर्व युग के नाम से जाना जाता है। यह हिंदी उपन्यास के विकास का आरंभिक काल है। इस दौर के उपन्यासों को 4 वर्गों में बांटा गया है

  1. तिलिस्मी उपन्यास 
  2. जासूसी उपन्यास 
  3. ऐतिहासिक उपन्यास 
  4. सामाजिक उपन्यास

तिलिस्मी अय्यारी उपन्यास लेखन की शुरुआत देवकीनंदन खत्री से हुई। देवकीनंदन खत्री के उपन्यास चंद्रकांता, चंद्रकांता संतति, भूतनाथ, काजल की कोठरी, कुसुम कुमारी, नरेंद्र मोहिनी, वीरेंद्र वीर।

जासूसी उपन्यासों की धारा बाबू गोपाल राम गहमरी से शुरू हुई। गहमरी जी अंग्रेजी के जासूसी उपन्यासकार ऑर्थर कानन डायल से प्रभावित थे। गहमरी जी के निम्नलिखित उपन्यास है- अद्भुत लाश, सर कटी लाश, जासूस की भूल, जासूस पर जासूस

किशोरी लाल गोस्वामी के उपन्यास जिंदे की लाश, तिलिस्मी शीश महल, लीलावती, याकूत तख्ती।

ऐतिहासिक उपन्यास- ऐतिहासिक उपन्यास का संबंध भारतीय अतीत की गौरव गाथा से रहा है। इन उपन्यासकारों ने ऐतिहासिक पात्रों को आधार बनाकर राष्ट्रीय सामाजिक जागरण का प्रयास किया है। प्रमुख ऐतिहासिक उपन्यासकार आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, किशोरी लाल गोस्वामी, दीनबंधु मित्र ।

सामाजिक उपन्यासों में नैतिकता तथा सोद्देश्यपरकता की स्पष्ट झलक देखी गई है। प्रमुख सामाजिक उपन्यासकार- लज्जाराम शर्मा, अयोध्या प्रसाद खत्री, बाबू जगमोहन सिंह।

2.प्रेमचंद युगीन हिंदी उपन्यास

प्रेमचंद युगीन उपन्यास की विशेषताएं हैं - सामाजिक यथार्थवाद एवं सामाजिक आदर्शवाद। प्रेमचंद जी ने अपने आरंभिक उपन्यासों में सामाजिक समस्या के समाधान को समझाने का प्रयास किया है। 

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने प्रेमचंद्र जी का मूल्यांकन करते हुए लिखा है कि प्रेमचंद शताब्दियों से पद दलित अपमानित उपेक्षित कृषकों की आवाज थे।

प्रेमचंद जी के उपन्यास

सेवा सदन 1918, प्रेमाश्रम 1922, रंगभूमि 1925, कायाकल्प 1926, निर्मला 1927, गबन 1931, कर्मभूमि 1930, गोदान 1935।

मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास-

  • सेवा सदन में मुंशी प्रेमचंद्र जी ने विवाह से जुड़ी समस्याओं जैसे - दहेज प्रथा, कुलीनता का प्रश्न, पत्नी का स्थान और सम्मान आदि को उठाया है। 
  • निर्मला उपन्यास में मुंशी प्रेमचंद जी ने दहेज प्रथा तथा बेमेल विवाह की समस्या को चित्रित किया है।
  • प्रेम आश्रम और गोदान में कृषक जीवन की समस्याओं को उजागर किया है। 
  • गोदान मुंशी प्रेमचंद जी का सर्वश्रेष्ठ उपन्यास है इस उपन्यास में मुंशी जी ने ग्रामीण कृषक जीवन का यथार्थ चित्रण किया है। 
  • कर्मभूमि में मुंशी जी ने स्वतंत्रता संग्राम की एक झलक प्रस्तुत की है। 
  • गबन में स्त्रियों के आभूषण प्रेम के दुष्परिणामों का चित्रण किया है।
  • कायाकल्प पुनर्जन्म से संबंधित है 

मुंशी जी के उपन्यासों की प्रमुख विशेषता आदर्शोन्मुखी यथार्थवाद है। जिसके कारण वे पाठकों में अति लोकप्रिय हुए हैं। निर्मला से मनोवैज्ञानिक उपन्यास की शुरुआत देखी जा सकती है 

मुंशी जी का अधूरा उपन्यास मंगलसूत्र है।

प्रेमचंद कालीन उपन्यासकार-

जयशंकर प्रसाद -प्रसाद जी ने दो प्रमुख उपन्यास कंकाल 1929 और तितली 1934 की रचना की है। इनका अधूरा उपन्यास इरावती है, जिसे वे अकाल मृत्यु के कारण पूरा नहीं कर सके। कंकाल में प्रसाद जी ने व्यक्ति की स्वतंत्रता पर बल दिया है। जबकि तितली में उन्होंने प्रेम के आदर्श स्वरूप का चित्रण किया है, और उसमें ग्रामीण समस्याओं का भी चित्रण किया है।

विश्वंभर नाथ शर्मा कौशिक - मां, भिखारिणी एवं संघर्ष कौशिक जी के प्रमुख उपन्यास हैं। इन्होंने नारी हृदय की विशालता, मां की ममता और आदर्श प्रेम को अपने उपन्यासों में स्थान दिया है।

प्रताप नारायण श्रीवास्तव - प्रताप नारायण श्रीवास्तव आदर्शवादी परंपरा के उपन्यासकार हैं। इन्होंने विदा, विजय, विकास, बेकसी का मजार, विसर्जन, वेदना, आदि उपन्यास लिखे हैं। बेकसी का मजार एक ऐतिहासिक उपन्यास है। बाकी सभी सामाजिक वर्ग के उपन्यास है।

पांडेय बेचन शर्मा उग्र -समाज की विभिन्न समस्याओं को उद्घाटित किया। सभ्य समाज की अंदर की दुर्बलता, अनीतियों और घृणित प्रवृत्तियों का चित्रण अपने उपन्यासों में किया है। इनके प्रमुख उपन्यास है चंद हसीनों के खतूत, घण्टा, दिल्ली का दलाल, शराबी, कड़ी में कोयला, फागुन के चार दिन, जी! जी,जी। 

उपेंद्रनाथ अश्क -मध्यवर्गीय समाज की जीवन रीति, स्वभाव, संस्कार, विचार पद्धति, विभिन्न पारिवारिक एवं सामाजिक बुराइयों कुण्ठाओ आदि को अपने उपन्यास में चित्रित किया है। इनके प्रमुख उपन्यास इस प्रकार हैं -
 सितारों का खेल 1931, गिरती दीवारें, गर्म राख, बड़ी बड़ी आंखें

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला- निराला जी के उपन्यासों में भावुकता एवं काव्यात्मकता का समावेश हुआ है। इन्होंने नारी समस्या का चित्रण किया है। इनके प्रमुख उपन्यास निम्नलिखित हैं अप्सरा 1931, अलका 1931, निरुपमा 1936, प्रभावती

3.प्रेमचंदोत्तर हिंदी उपन्यास-

प्रेमचंद जी के बाद के उपन्यासों को विषय की दृष्टि से हम पांच भागों में विभाजित कर सकते हैं -

  1. मनोविश्लेषणवादी उपन्यास
  2. प्रगतिवादी उपन्यास
  3. ऐतिहासिक उपन्यास
  4. आंचलिक उपन्यास 
  5. प्रयोगवादी उपन्यास

मनोविश्लेषणवादी उपन्यास - मनोविश्लेषणवादी उपन्यासों में जैनेंद्र, इलाचंद्र जोशी एवं अज्ञेय का नाम प्रसिद्ध है।

जैनेंद्र - पराग 1929, सुनीता 1935, त्याग पत्र 1937, कल्याणी 1939, सुखदा 1952, विवर्त एवं व्यतीत 1953

इलाचंद्र जोशी - सन्यासी 1941, पर्दे की रानी 1941, प्रेत और छाया 1945, निर्वाचित 1946, जिप्सी 1952

अज्ञेय - शेखर एक जीवनी 1941, नदी के द्वीप 1951, अपने अपने अजनबी


प्रगतिवादी उपन्यास - (साम्यवादी/मार्क्सवादी) - हिंदी में मार्क्सवादी या साम्यवादी उपन्यास वे हैं जिनमें मार्क्सवादी विचारधारा का प्रभाव है। मार्क्सवादी उपन्यासकारों में यशपाल, नागार्जुन, भैरव प्रसाद गुप्त, भगवती चरण वर्मा, अमृतलाल नागर आदि प्रमुख हैं।

यशपाल - दादा कामरेड 1941, देशद्रोही 1943, दिव्या 1946, पार्टी कामरेड 1946, मनुष्य के रूप 1946, अमिता 1956, 12 घंटे 1964, झूठा सच 1960।

नागार्जुन - रतिनाथ की चाची, बालचनामा 1952, नई पौध 1953, बाबा बटेसरनाथ 1954।

भैरव प्रसाद गुप्त - मशाल 1951, गंगा मैया 1953, सती मैया का चौरा।

भगवती चरण वर्मा - सबहिं नचावत राम गुसाईं।

अमृतलाल नागर - सेठ बांकेलाल, अमृत और विष, बूंद और समुद्र, महाकाल, शतरंज के मोहरे, सुहाग के नुपुर, मानस का हंस, खंजन नयन।

ऐतिहासिक उपन्यास - इन उपन्यासकारों ने ऐतिहासिक पात्रों को आधार बनाकर राष्ट्रीय सामाजिक जागरण का प्रयास किया है। ऐतिहासिक उपन्यासों में बाबू वृंदावन लाल वर्मा, आचार्य चतुरसेन शास्त्री, हजारी प्रसाद द्विवेदी, राहुल सांकृत्यायन एवं रांगेय राघव आदि प्रमुख हैं

आचार्य चतुरसेन शास्त्री - मंदिर की नर्तकी 1939 रक्त की प्यास 1940 वैशाली की नगरवधू 1948 सोमनाथ 1954 आलमगीर 1954 बयान रक्षा महा 1955 सोना और खून 1960।

राहुल सांकृत्यायन- सरसेनापति 1944 जय योद्धे 1944 मधुर स्वप्न 1949 विस्मृत यात्री 1954

हजारी प्रसाद द्विवेदी - बाणभट्ट की आत्मकथा 1946 चारुचंद्र 1962।

रांगेय राघव - मुर्दों का टीला 1948 1951 अंधेरे के जुगनू 1953 यशोधरा जीत गई 1954।

आंचलिक उपन्यास - आंचलिक उपन्यासों की परंपरा का विकास वर्ष 1950 के बाद हुआ। प्रमुख आंचलिक उपन्यासकार नागार्जुन, फणीश्वर नाथ रेणु, रांगेय राघव आदि।

नागार्जुन - बलचनामा 1952, नयी पौध 1953, बाबा बटेसरनाथ 1954, वरुण के बेटे  1957।

फणीश्वर नाथ रेणु - मैला आंचल 1954, परती परिकथा 1957।

रांगेय राघव - काका, कब तक पुकारुं।

प्रयोगवादी उपन्यास - आधुनिक हिंदी उपन्यासों की नवीनतम धारा को प्रयोगवादी उपन्यास कहा जा सकता है। औद्योगिकरण, बदलते परिवेश, भ्रष्टाचार, कुंठा, तनाव, महानगरीय जीवन, अकेलापन, असुरक्षा की भावना से मानव त्रस्त है। उपन्यास कारों की दृष्टि पड़ी तो उन्होंने अपने उपन्यासों में इसे अभिव्यक्ति दी। प्रयोगवादी परंपरा के लेखकों में धर्मवीर भारती सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, नरेश मेहता, शिव प्रसाद मिश्र, गिरधर गोपाल, निर्मल वर्मा, मन्नू भंडारी, ऊषा प्रियवंदा आदि प्रमुख हैं।

मोहन राकेश - अंधेरे बंद कमरे 1961, न आने वाला कल 1968।

उपन्यास के प्रमुख तत्व

कथावस्तु - 

पात्र एवं चरित्र चित्रण 

संवाद या कथोपकथन 

भाषा शैली 

देश काल या वातावरण 

उद्देश्य

उपन्यास के प्रकार 

  1. मनोवैज्ञानिक उपन्यास 
  2. आंचलिक उपन्यास 
  3. सामाजिक उपन्यास 
  4. समाजवादी उपन्यास 
  5. ऐतिहासिक उपन्यास 
शैली की दृष्टि से उपन्यास के भेद हैं -

  1. आत्मकथात्मक शैली 
  2. कथात्मक शैली 
  3. पत्र शैली 
  4. डायरी शैली


परीक्षाओं में पूंछे गए महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर -

  • उपन्यास क्या है ?

उपन्यास गद्य का नव - विकसित रूप है। जिसमें कथावस्तु, चरित्र - चित्रण, संवाद आदि के तत्वों के माध्यम से यथार्थ और कल्पना मिश्रित कहानी आकर्षक शैली में प्रस्तुत की जाती है।

  • उपन्यास की परिभाषा क्या है ?

डॉ भागीरथ मिश्र के अनुसार - 

'युग की गतिशील पृष्ठभूमि पर सहज शैली में स्वाभाविक जीवन की एक पूर्ण झांकी प्रस्तुत करने वाला गद्य, उपन्यास कहलाता है।

  • उपन्यास में कितने तत्व होते हैं ?

उपन्यास मैं निम्नलिखित छः तत्व होते हैं - कथावस्तु ,पात्र एवं चरित्र चित्रण, संवाद या कथोपकथन ,भाषा शैली, देश काल या वातावरण, उद्देश्य।

  • हिंदी के प्रथम उपन्यास का नाम क्या है ?

उत्तर - परीक्षा गुरु हिंदी का प्रथम उपन्यास है।

 कुछ आलोचक इंशा अल्लाह खान द्वारा लिखित 'रानी केतकी की कहानी' को हिंदी का सर्वप्रथम लघु उपन्यास मानते हैं।आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने श्रीनिवास दास कृत 'परीक्षा गुरु' को हिंदी का प्रथम उपन्यास माना है।

  • हिंदी का प्रथम उपन्यासकार कौन हैं ?

लाला श्रीनिवास हिंदी के प्रथम उपन्यासकार हैं।

  • ऐतिहासिक उपन्यास कौन सा है ?

ऐतिहासिक उपन्यास का संबंध भारत की गौरव गाथा से रहा है इस धारा के उपन्यास कारों पर पुनरुत्थान वादी कितना का विशेष प्रभाव पड़ा था ऐतिहासिक पात्रों को आधार बनाकर राष्ट्रीय सामाजिक जागरण का प्रयास करने वाले उपन्यास कारों ने ऐतिहासिक उपन्यास की रचना की।

बाणभट्ट की आत्मकथा, चारू चंद्र, आलमगीर, मंदिर की नर्तकी आदि ऐतिहासिक उपन्यास हैं।

  • हिंदी के प्रमुख ऐतिहासिक उपन्यासकार कौन हैं ?

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, किशोरी लाल गोस्वामी, दीनबंधु मित्र, वृंदावन लाल वर्मा, चतुरसेन शास्त्री, राहुल सांकृत्यायन, रांगेय राघव आदि प्रमुख ऐतिहासिक उपन्यासकार हैं।

  • पहला आधुनिक हिंदी उपन्यास कौन सा है ?

परीक्षा गुरु हिंदी का प्रथम आधुनिक हिंदी उपन्यास है जिसके लेखक लाला श्रीनिवास दास हैं जो भारतेंदु युग के प्रसिद्ध नाटककार हैं।

  • हिंदी के पहले उपन्यास के लेखक कौन हैं ? 
हिंदी के पहले उपन्यास के लेखक लाला श्रीनिवास दास हैं।
  • आंचलिक उपन्यास के जनक कौन हैं ?
आंचलिक उपन्यासकार के जनक फणीश्वर नाथ रेणु हैं।

  • आंचलिक उपन्यास किसे कहते हैं ?

आंचलिक उपन्यास का रूप 1950 ईस्वी के बाद सामने आया। आंचलिक उपन्यासों में लेखक की दृष्टि आंचलिकता पर केंद्रित रहती है। उसमें क्षेत्र विशेष की संस्कृति का चित्रण होता है। वहां की बोली भाषा में ही शब्द प्रयुक्त होते हैं। साथ ही लोक संस्कृति, लोक जीवन, रहन-सहन, वेशभूषा, अंधविश्वास, त्योहार - पर्व तथा राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक जीवन का चित्रण विशेष रूप से होता है।

  • आंचलिक उपन्यास की विशेषताएं क्या हैं?

आंचलिक उपन्यास की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें नायक अथवा चरित्र प्रमुख नहीं होता है बल्कि अंचल ही विशेष रूप से उभर कर सामने आता है।

अंचल विशेष की भौगोलिक स्थिति का तथ्यपरक चित्र।

कथानक का आंचलिक आधार।

अंचल विशेष की लोक संस्कृति का चित्रण।

आंचलिक भाषा में प्रयुक्त होने वाली शब्दावली का प्रयोग।

अंचल विशेष की राजनीतिक धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थिति का चित्रण।

  • हिंदी के प्रथम आंचलिक उपन्यासकार कौन हैं ?

हिंदी के प्रमुख आंचलिक उपन्यासकार फणीश्वर नाथ रेणु, नागार्जुन, उदय शंकर भट्ट, रांगेय राघव, रामदरश मिश्र, शिव प्रसाद रूद्र, राही मासूम रजा, शैलेश मटियानी आदि हैं।

  • हिंदी का प्रथम आंचलिक उपन्यास कौन सा है?

फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा लिखा गया उपन्यास 'मैला आंचल' (1954) हिंदी का प्रथम आंचलिक उपन्यास है

  • हिंदी का प्रथम उपन्यास कौन सा है?

भाग्यवती हिंदी का प्रथम उपन्यास है जिसकी रचना श्रद्धाराम फुल्लौरी ने की है। इसका रचनाकाल सन् 1877 ई है, जो अन्य उपन्यास के रचनाकाल से पहले है।

  •  उपन्यास सम्राट किसे कहते हैं ?

मुंशी प्रेमचंद को उपन्यास सम्राट कहा जाता है।


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